Friday, 21 November 2014

जैसलमेर नगरपरिषद् में सामान्य महिला की सभापति सीट पर ओबीसी का कब्जा होने की संभावना बढ़ी

निकाय चुनाव में ब्राह्मण् समाज हाशिये पर होने की स्थिति में


जैसलमेर / गत निकाय चुनाव में नगरपालिका अध्यक्ष पद का सीधा चुनाव हुआ था । ओबीसी की सीट होने से सीधे चुनाव में कांग्रेस की टिकट से अध्यक्ष अशोक तंवर बने । इस हेतु ब्राह्मण समाज का भरपूर सपोर्ट रहा । वैसे अशोक तंवर और रावणा राजपूत का इस शहर में घनिष्ठता रही है । तात्कालीन राजनीतिक पैंतरा यही था कि, चुनाव हर साल होते हैं और लॉटरी पद्धति में सामान्य सीट भी आ सकती है । इस स्थिति में किए गए वादे ही काम आते हैं और उनकी परीक्षा भी होती है ।.... ठोकर एक बार खाये, दो बार खाये, फिर बार—बार ठोकर खाने का मतलब..........

ब्राहमण समाज में, सामाजिक स्तर पर किसी तरह के सामाजिक बदलाव की नामौजूदगी नगरपरिषद में इस बार सामान्य महिला की आरक्षित सीट पर ओबीसी उम्मीदवार के आने की संभावना बनाता है । समाज में रिश्तों की पड़ताल करें तो हमें कई ऐसे रिश्तों के पेड़ मिलेंगे जिनका आधार मजबूत है । राजनीति का कहर समाज में रिश्तों पर पड़ रहा है ।

राजनीतिक पेचीदगियों और जटिलताओं में सामाजिक स्तर पर चिन्तन होना चाहिए । टूटन का खतरा ज्यादा रहा है इस राजनीतिक वायरल में । उदाहरण भरे पड़ें हैं, बाप—बेटे की नहीं बनती...उनकी नहीं बनती......इनकी नहीं बनती....जो हो गया सो हो गया लेकिन अब कोई बाप—बेटा इस राजनीति का शिकार न हो । अस्तु ।

वर्तमान निकाय चुनाव में जब सभापति की सीट की लॉटरी सामान्य महिला की निकली तो जैसलमेर ब्राह्णण समाज में अतिउत्साह नजर आया था । लेकिन सफर से सभी अनजान थे ।

सभापति से पहले पार्षद चुनने का कार्यक्रम शुरू हो चुका है । चतुराई से टिकटों का बंटवारा पार्टियों ने अपने हित के हिसाब से किया, तो बागी पैदा हो गये । सामाजिक स्तर पर परिवारों में मनमुटाव हो गया । फूट डालो और राज करो वाली नीति ।

ताजा स्थिति यह है पार्टी की टिकटों से ब्राह्मण् समाज से दो महिला उम्मीदवार ही मैदान में है और दोनों को ही बागियों से खतरा । यह खतरा पैदा पार्टियों ने क्यों कि टिकटों का वितरण सुव्यस्थि​त योजना से नहीं हुआ । (एक सुझाव था, प्रत्येक वार्ड की मोहल्ला समितियों से नाम प्रस्तावित हो । औसतन 5 नाम प्रति वार्ड से प्रस्तावित हों । और अंत में एक राय न हो तो, लॉटरी पद्धती से टिकट आवंटन हो)

विश्व विख्यात सोनार किला, वार्ड नंबर 4  से  समता व्यास  को भाजपा ने टिकट देकर , सामान्य महिला के लिए आरक्षित सभापति पद तक पंहुचने का अवसर दिया है जिसको समाज को समझाने की आवश्यकता बताई जा रही है । समता व्याससभापति की ससख्त दावेदार मानी जा रही है । लेकिन समाज की अपरिपक्व राजनीति के कारण किले उपर वार्ड नंबर 4 में ब्राह्णण समाज से ही 4 उम्मीदवार मैदान में है । जबकि कांग्रेस ने किसी महिला को टिकट न देकर, अरविन्द व्यास का टिकट दिया है ।

वार्ड नंबर 7 में ब्राह्मण महिला दुर्गा छांगाणी को कांग्रेस ने टिकट देकर ब्राह्णण महिला को सभापति तक पहुंचाने का अवसर दिया लेकिन यहां उनकी ही पार्टी के जगदीश चूरा निर्दलीय के रूप में बागी है । तीन बार पार्षद रह चुके और वर्तमान में नगरपरिषद में उपाध्यक्ष के रूप में पांच साल नगर परिषद में व्यतीत किए है ।

वैसे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ब्राह्णण महिलाएं मैदान में है लेकिन उनकी जीत के बाद भी सभापति का पद मुश्किल है । ऐसे में कयास यही लगाये जा रहे हैं कि एक फिर ओबीसी को मिल सकता है सभापति का पद ।

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