Friday, 12 December 2014

पीएलए तकनीक से बनेगी सस्ती पॉलिथीन धूप और पानी में आसानी से गलेगी

जैसलमेर /  देश में अब धूप और पानी में आसानी से गलने वाली पॉलिथीन बनाई जाएगी। इसे बायोडिग्रीवल पॉलिथीन के नाम से पहचाना जाएगा। इसे बनाने में खाद्य पदार्थ के स्टार्च का उपयोग बतौर केमिकल किया जाएगा।  यह पॉलिथीन सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सिपेट) भोपाल के वैज्ञानिक बनाएंगे। इसके लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे है, जो अगले दो साल में पूरी होगी।

पॉलिथीन का उपयोग करने के बाद लोगों के फेंकने की आदत के कारण जमीन प्रदूषित हो रही है। इसकी वजह पॉलिथीन का बायोडिग्रीवल होना है। इस परेशानी को खत्म करने सिपेट बायोडिग्रीवल पॉलिथीन बनाई है, लेकिन लागत काफी ज्यादा है। इस कारण अब सिपेट भुवनेश्वर के वैज्ञानिकों ने आम आदमी के उपयोग की खातिर कम लागत की बायोडिग्रीवल पॉलिथीन बनाने पर रिसर्च का काम शुरू कर दिया है। इस रिसर्च प्रोजेक्ट के नतीजों पर भोपाल सिपेट में बायोडिग्रीवल पॉलिथीन बनाई जाएगी, साथ ही संस्थान के स्टूडेंट्स को भी इसे बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

बायोडिग्रीवल पॉलिथीन पॉली लैक्टिक एसिड (पीएलए) तकनीक से बनाई जाएगी। इसे बनाने के दौरान खाद्य पदार्थ के स्टार्च को केमिकल की शक्ल में मिलाया जाएगा। इसके उपयोग से पॉलिथीन के धूप और पानी में गिरने पर, उसमें बैक्टीरिया पैदा हो जाएंगे। जो पॉलिथीन को सात से दस दिन के भीतर नष्ट कर देंगे। इस कारण मिट्टी और पानी प्रदूषित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि यह पॉलिथीन बाजार में 200 रुपए प्रति किलो की दर से शुरुआत में बिकेगी, जो अभी 370 रुपए किलो बिक रही है।



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