Saturday, 13 December 2014

जलदाय विभाग की उदासीनता से भ्रष्टाचार को बढ़ावा

फाईल में उच्चाधिकारियों का पत्र तक नहीं

आरोपित अधिकारी अधिकारी पदौन्नति पाता रहा और स्वैच्छिक सेवानिवृत्त के बाद कांग्रेस की टिकट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ लिया । हॉल में पीसीसी में महासचिव बनाया गया । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी


* आनन्द एम.वासु *



जैसलमेर /  रसूखदारों के रूतबे को सलाम करें या अफसोस जाहिर करें । दोनों की प्रतिक्रियाएं हो सकती है । उनके परिणाम पर निर्भर करता है । जनहित में उनका रसूख काम आया तो, सलाम! अन्यथा, अफसोस । वैसे अक्सर अफसोस ही होता है । रसूखदारों का रूतबा अक्सर भ्रष्टाचार को दबाने में जाहिर होता है । ऐसे रसूखदारों की वजह से जैसलमेर में जलदाय विभाग में हुए भ्रष्टाचार मामले को दबाया गया है । जबकि भ्रष्टाचार विभाग ने तो 12 ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज करा दी । एफआईआर दर्ज कराए हुए को भी 2 साल से ज्यादा का समय व्यतीत हो गया । लेकिन प्रकरण में रूपाराम धनदै तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता का रूतबा इतना है कि किसी के खिलाफ जलदाय विभाग ने कोई विभागीय कार्यवाही की । विभाग द्वारा उन्हें किसी प्रकार का कोई नोटिस भी नहीं दिया गया । और तो और, सूचना के अधिकार में जब इस प्रकरण से संबंधित पत्रावलियों का अवलोकन किया तो, जलदाय विभाग के उच्चाधिकारियों का कोई पत्र तक पत्रावली में नहीं है । इसका तात्पर्य सीधा सा है कि भ्रष्टाचार को छिपाने का हर कोशिश की जा रही है ।

एफआईआर की जानकारी नहीं

एसीबी जयपुर द्वारा एफआईआर दर्ज हुए 2 साल से ज्यादा का समय हो गया लेकिन इसकी जानकारी न तो जिला अधिकारियों को और न ही ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों को थी जिनका ब्यौरा एफ.आई.आर. संख्या 271/2012 दिनांक 13.7.2012 में दर्ज है । न ही उच्चाधिकारियों द्वारा इस संबंध में कोई विभागीय कार्यवाही की गई है । विभाग द्वारा एक नोटिस तक नहीं दिया गया है ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों को । लेकिन सूचना के अधिकार में, भ्रष्टाचार विभाग, जयपुर से प्राप्त एफआईआर की प्रति देकर जब जैसलमेर जलदाय विभाग, अधीक्षण अभियन्ता कार्यालय और अधिशाषी अभियन्ता (जिला खण्ड) कार्यालय में इस विषय की पत्रावलियों का अवलोकन किया, तो रसूखदारों का रूतबा समझ में आया । पत्रावली में विभागीय कार्यवाही के नाम पर केवल मात्र भ्रष्टाचार विभाग, जैसलमेर से हुआ पत्र व्यवहार ही पत्रावलीबद्ध मिले । न तो प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति थी, न ही उच्चाधिकारियों, सचिवालय स्तर से कोई कार्यवाही में पत्र लिखा गया । विभागीय कार्यवाही अनुसार अधिनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को ‘सो कॉज नोटिस‘ दिया गया ।

यह  है मामला

रूपाराम धणदै तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग, वृत्त जैसलमेर व अन्य द्वारा अपने जैसलमेर पदस्थापन अवधि में आपूर्ति फर्मों से मिली भगत कर एल एण्ड टी के कलपुर्जों की खरीद करना है जिसमें मैसर्स कष्मीरीलाल कॉन्टेक्टर, मैसर्स लक्ष्मी इन्टरप्राईजेज व मैसर्स श्री कृष्णा इंडस्ट्रीज तीनों श्रीगंगानगर मुख्य आपर्तिकर्ता फर्में रही है । तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जैसलमेर द्वारा फर्म मैसर्स भण्डारी इन्टरप्राईजेज जोधपुर से सितम्बर 2003 से अक्टूबर 2005 क मध्य 17 क्रय आदेशों के द्वारा 25 लाख 58 हजार 041 रूपये एमसीसीबी क्रय की गई । इसी तरह मार्च 2003 से अक्टूबर 2005 तक मध्य 10 कार्यादेशों के द्वारा , तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जैसलमेर द्वारा मैसर्स मुक्ति ट्रेडर्स जोधपुर व अन्य से स्टार्टर के स्पेयर पार्टस क्रय किये गये । इत्यादि आरोपों पर प्राथमिक जांच संख्या 10/07 पंजीबद्ध हुई । प्राथमिक जांच के दौरान उपलब्ध रिकॉर्ड, गवाहों के बयान से बनी तथ्यात्मक स्थिति से ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों जिनकी कुल संख्या 12 है, के खिलाफ पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, जयपुर द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 271/2012 दिनांक 13.7.2012 को दर्ज कराई गई ।

लेकिन इस अवधि में ने जलदाय विभाग के किसी भी स्तर के अधिकारी द्वारा  ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों को,  जिनका ब्यौरा एफ.आई.आर. संख्या 271/2012 दिनांक 13.7.2012 में दर्ज है,  नोटिस तक नहीं दिया गया । जबकि सामान्य सी कार्यवाही में अधिनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों से जवाब तलब किया जाता है । इतनी बड़ी कार्यवाही भ्रष्टाचार विभाग द्वारा की गई लेकिन जलदाय विभाग इससे इत्तेफाक नहीं रखता तभी तो विभाग ने अपने अधिकारी और कर्मचारियों को यह पूछने तक की जुर्ररत नहीं कि, मामले में आपका कथन क्या है ।

विभागीय जांच नहीं

प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार विभाग द्वारा की गई तहकीकात से नतीजा निकला कि भ्रष्टाचार हुआ है तो भ्रष्टाचार विभाग ने एफआईआर दर्ज करवाई । लेकिन जलदाय विभाग ने इन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की विभागीय जांच न तो की गई , न ही प्रस्तावित की गई ।

संबंधित पत्रावली में उच्चाधिकारियों के पत्र भी नहीं

संबंधित पत्रावलियों का अवलोकन सूचना के अधिकार में किया गया लेकिन इन पत्रावलियों में उच्चाधिकारियों का एक भी पत्र उपलब्ध नहीं था । जिससे साफ जाहिर होता है कि ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों की जिनका ब्यौरा एफ.आई.आर. संख्या 271/2012 दिनांक 13.7.2012 में दर्ज है, पहुंच राजनीतिक गलियारों में भी है । यह सही भी है कि रूपाराम धनदै की पहुंच राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक है ।

पत्रावली में नोटशीट नहीं

इस प्रकरण में आरटीआई के तहत् अधीक्षण अभियन्ता, जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर व अधिशाषी अभियन्ता जिला खण्ड में पत्रावलियों का अवलाकन किया तो उसमें विभागीय व कार्यालय पद्धति अनुसार ‘नोट-शीट‘ का भी अभाव पाया गया । जब कि कायदे व नियमानुसार हर पत्रावली की ‘नोट-शीट‘ होती है । इसी ‘नोट-शीट‘ में अधिकारी के निर्णय होते हैं । एक तरह से पूरी पत्रावली आईना होती है ‘नोट-शीट‘। लेकिन जलदाय विभाग में नौसिखिया बाबूओं की तरह फाईल बनाई गयी है । ऐसा लगता है कि, सूचना मांगे जाने पर जैसे तैसे कर पत्रों को पंजिबद्ध किया गया या फिर महत्वपूर्ण पत्रों का जानबूझ कर नत्थी नहीं किया गया ।

पेजिंग भी नहीं

इतने महत्वपूर्ण आरोपों की पत्रावली में पेजिंग भी नहीं की गयी है । जिससे आसानी से किसी पत्र को निकाल कर भ्रष्टाचारियों को सह देने की स्थिति बनती है ।

ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्त जिनका ब्यौरा एफ.आई.आर. संख्या 271/2012 दिनांक 13.7.2012 में दर्ज है

रूपाराम धणदै तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर, रविन्द्रपालसिंह तत्कालीन कार्यवाहक अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर, भंवरलाल जाटोल तत्कालीन अधिषाषी अभियन्ता जिला खण्ड जलदाय विभाग,जैसलमेर, देवकृष्ण पंवार सहायस लेखाधिकारी जनस्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग, जैसलमेर, ओमप्रकाश तत्काली तकनीकी सहायक कार्यालय अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर, श्रीवल्लभ औझा तत्कालीन क्रय लिपिक कार्यालय अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर, मनोज झमेरिया तत्कालीन क्रय लिपिक कार्यालय अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर, कष्मीरीलाल गेरा प्रोपराईटर मैसर्स कश्मीरीलाल कॉन्टेक्टर श्रीगंगानगर, राजकुमार पुत्र कश्मीरीलाल गेरा प्रोपराईटर मैसर्स लक्ष्मी इण्टरप्राईजेज श्रीगंगानगर, नरेश पुत्र कश्मीरीलाल गेरा प्रोपराईटर मैसर्स कृष्णा इंडस्ट्रीज श्रीगंगानगर, अनिल रूपचन्द भण्डारी प्रोपराईटर मैसर्स भण्डारी इण्टरप्राईजेज गोल बिल्डिंग रोड जालोरी गेट के बाहर, जोधपुर व प्रोपराईर मैसर्स मुक्ति ट्रेडर्स जोधपुर

सजा की बजाय मौजा ही मौजा

ज्ञात/अज्ञात/संदिग्ध अभियुक्तों को, जिनका ब्यौरा एफ.आई.आर. संख्या 271/2012 दिनांक 13.7.2012 में दर्ज है, सजा मिलने की बजाय तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अधिकारी को न केवल पदौन्नति देकर मुख्य अभियन्ता (विशेष परियोजना) बनाया बल्कि उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिलवाकर कांग्रेस की सीट से जैसलमेर विधानसभा का चुनाव भी लड़वा लिया। सहायक लेखाधिकारी वर्तमान में भी जिला कोषालय जैसलमेर जैसे महत्वपूर्ण विभाग में कार्यरत है । तत्कालीन क्रय लिपिक श्रीवल्लभ को भी पदौन्नति और अच्छा प्रभार मिलता रहा है । वर्तमान में भी विभागीय अधिकारियों की मेहरबानी के कारण डेपूटेशन पर अधिशाषी अभियन्ता कार्यालय जिला खण्ड में ऑडिट जैसे महत्वपूर्ण सेक्शन का इंजार्च बनाया हुआ है । इनके बिना विभाग का कोई टेण्डर कार्य नहीं होता । अन्य लिपिक मनोज झमेरिया भी अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत्त जैसलमेर को भी कैशियर और खरीद जैसा महत्वपूर्ण चार्ज दे रखा है ।


भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की वेबसाइट पर नहीं है इसका उल्लेख


भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की वेबसाइट http://acb.rajasthan.gov.in/index.asp पर भी इस प्रकरण की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है ।

रूपाराम धणदेै की राजनीतिक हैसियत

भ्रष्टाचार की कार्यवाही के चलते विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया । पदौन्नति पाकर मुख्य अभिन्ता (विशेष परियोजना) बने । स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली । जैसलमेर विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट दिया । लेकिन विधानसभा चुनावों में वे हार गए । फिर भी कांग्रेस पार्टी ने उनको मान सम्मान दिया । राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं । हाल ही में उन्हें पीसीसी में प्रदेश सचिव भी बनाया गया है । इसी रूतबे के कारण भ्रष्टाचार विभाग की कार्यवाही बन्द बस्ते में पड़ी है ।


No comments:

Post a Comment