Thursday, 25 June 2015

देवडा निवासी केंकू, चेनाराम व खाखूराम को 40 साल बाद मिला खातेदारी भूमि का अधिकार

Diffusé par Adcash
जैसलमेर / राज्य सरकार द्वारा राजस्व प्रकरणों के निस्तारण के लिए जिले में चल रहा राजस्व लोक अदालत अभियान एवं न्याय आपके द्वार शिविर कई ग्रामवासियों के लिए तो वरदान ही साबित हो रहे है। ग्राम पंचायत देवडा में 22 जून को आयोजित हुए राजस्व लोक अदालत शिविर में एक मामला ऐसा प्रकाश में आया कि देवडा निवासी सजनाराम के देहांत के बाद उसकी पैतृक भूमि 75 बीघा जो कि सजनाराम के सबसे बडे पुत्र गोपाराम के नाम 1981 में दर्ज हो गई थी।

देवडा में आयोजित लोक अदालत शिविर में पीठासीन अधिकारी एवं उपखंड अधिकारी फतेहगढ जयसिंह के समक्ष स्वर्गीय सजनाराम की पत्नी केकूं, उसके पुत्र चेनाराम व खाखूराम ने एक प्रार्थना पत्र पेश कर निवेदन किया है कि उनके पिता के नाम ग्राम देवडा के खसरा नंबर 433/756 रकबा 75 बीघा भूमि खातेदारी में दर्ज थी लेकिन सजनाराम के देहांत के बाद पटवारी हल्का द्वारा नामांतकरण संख्या 124 दिनांक 08 अप्रैल 1981 को ग्राम पंचायत द्वारा स्वीकृत कराके सजनाराम के बडे पुत्र गोपाराम के नाम से खातेदारी दर्ज कर दी एवं शेष तीनो वारिसान को इस खातेदारी भूमि में उनके अधिकारों से वंचित कर दिया।

उपखंड अधिकारी फतेहगढ जयसिंह ने शिविर में मौके पर ही आरटीआईएफ की धारा 75 के अंतर्गत प्रार्थना पत्र प्राप्त करके प्रार्थना पत्र में वर्णित सभी तथ्यों की जांच मजमे-ए-आम में ग्रामीणों के समक्ष की गई एवं उनसे भी वास्तविक स्थिति की जानकारी ली। साथ ही तहसीलदार फतेहगढ से इसकी जांच करवाई गई तो सभी ने बताया कि सजनाराम के दोनो पुत्रों व पत्नी खातेदारी भूमि के हक से वंचित रह गए है एवं उनका नाम खातेदारी भूमि मेें दर्ज करना सही है। इस संबंध में पीठासीन अधिकारी जयसिंह ने सजनाराम के बडे पुत्र गोपाराम से जवाब चाहा गया तो उसने भी बताया कि उसके पिताजी की खातेदारी भूमि में बालिग होने के कारण उसके ही नाम भूमि का नामांतकरण खोला गया। उसने यह भी बताया कि अब मेरे भाईयों एवं माता केकूं देवी के नाम भी खातेदारी भूमि में शामिल किए जाए।

उपखंड अधिकारी ने इस मामले में पूर्ण संवेदनशीलता दिखाते हुए पक्षकारान से जवाब प्राप्त कर मौके पर ही निर्णय पारित कर सजनाराम की पत्नी श्रीमती केकूं, पुत्र चैनाराम व खाखूराम के नाम खातेदारी खोलने के अधिकार पारित किए। इस प्रकार लगभग 19-19 बीघा भूमि श्रीमती केकूं, चैनाराम व खाखूराम के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गई। 40 साल बाद सरकार द्वारा चलाए जा रहे राजस्व लोक अदालत शिविरों में इन प्रार्थीगणों को जब उनके पति/पिता की भूमि का हक मिला तो वे खुशी से समा गए एवं इस प्रकार के त्वरित न्याय के प्रति ग्रामीणों ने भी पीठासीन अधिकारी की भूरी-भूरी प्रशंसा की। खातेदारी भूमि का हक मिलने से अब श्रीमती केकूं, चैनाराम व खाखूराम भी इस भूमि पर केसीसी का लाभ ले सकेंगे वहीं अपनी खेतीबाडी भी आसानी से कर सकेंगे। इस प्रकार के निर्णय से इन परिवार में भी खुशी की लहर छा गई जिन्हें लंबे समय से अपनी भूमि का इंतजार था। इंतजार की घडियां इस शिविर में 40 साल बाद समाप्त होने पर उन्होंने राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के प्रति तहे दिल से आभार जताया एवं कहा कि ऐसे लोक अदालत गरीबों के लिए वास्तव में वरदान साबित हो रहे है।
Diffusé par Adcash

No comments:

Post a Comment